नई दिल्ली (कमोडिटीज कंट्रोल) चालू खरीफ सीजन के शुरू में मानसून की सुस्ती के कारण उड़द की बुवाई में कमी और अब लौटते मानसून की अत्यधिक बारिश से फसल को नुकसान। अगर व्यापारियों की मानें तो उत्पादक राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में उड़द की फसल पर दोहरी मार से उत्पादन घटना तय है। हालांकि उड़द के उत्पादन में कितनी कमी आएगी, इसका सटीक अनुमान लगाया जाना बाकी है। अत्यधिक बारिश के दौर में कमोडिटीज कंट्रोल के जिलावार फील्ड सर्वे में व्यापारियों ने अनुमान जताया है कि पिछले साल के मुकाबले उत्पादन औसतन 30-40 फीसदी तक कम हो सकता है।
हालांकि इसके विपरीत हाल में सरकार ने चालू खरीफ सीजन के जारी पहले अग्रिम अनुमान में उड़द का उत्पादन 21.5 लाख टन रहने का अनुमान लगाया है जो 29 लाख टन के लक्ष्य से काफी कम है। लेकिन पिछले उत्पादन 13 लाख से करीब 50 फीसदी से ज्यादा होगा। इस मामले में अहम तथ्य यह भी कि वर्ष 2019-20 में उड़द उत्पादन में अप्रत्याशित रूप से भारी गिरावट आई थी। उससे पिछले तीन वर्षों में खरीफ उड़द उत्पादन 21 लाख से 27 लाख टन के बीच रहा था। अगर व्यापारियों के अनुमान के अनुसार उत्पादन और घटता है तो निश्चित ही उत्पादन सिंगल इकाई में यानी 10 लाख टन से भी कम रह जाएगा। उड़द का उत्पादन रबी सीजन में भी होता है लेकिन रबी सीजन का उत्पादन 6-8 लाख टन से ज्यादा नहीं होता है।
सरकार के उत्पादन अनुमानों को व्यापारी पूरी तरह खारिज करते हैं। अधिकांश व्यापारियों का कहना है कि इस साल उत्पादन पिछले साल से कम ही रहेगा। उनके अनुसार सरकार भले ही ज्यादा रकबा की रिपोर्ट दे रही है। लेकिन वास्तव में रकबा कम रहा क्योंकि मानसून की देरी से बुवाई प्रभावित हुई। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 15 सितंबर तक 39.43 लाख हैक्टेयर में उड़द की बुवाई हुई जो पिछले साल की समान अवधि के रकबा 38.65 लाख हैक्टेयर से ज्यादा है। लेकिन व्यापारियों के अनुसार बोई गई अगैती फसल भी बारिश की कमी से प्रभावित हुई। लौटते मानसून की अत्यधिक बारिश से तो नुकसान और ज्यादा हो रहा है। व्यापारियों का अनुमान है कि उड़द के उत्पादन में कमी आना तय है क्योंकि रकबा घटने के बाद मौसम की मार से पैदावार घटेगी। अच्छी क्वालिटी की उड़द की उपलब्धता इस साल और कम रहेगी।
फील्ड सर्वेः मध्य प्रदेश
सागर
नई उड़द की आवक होने लगी है। लेकिन आवक का दबाव आने की उम्मीद नहीं है क्योंकि कटाई के समय बारिश से फसल को नुकसान होने के कारण उत्पादन 50 फीसदी ही रहने का अनुमान है। हालांकि नुकसान का सटीक अनुमान चार-पांच दिनों में मौसम साफ होने के बाद ही लग सकेगा। करीब 15 फीसदी नमी वाली नई उड़द 6100 रुपये और 18-20 फीसदी नमी वाली उड़द 5500 रुपये प्रति क्विंटल बिक रही है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 6300 रुपये पर सरकारी खरीद होने की संभावना बहुत कम है क्योंकि 10-12 फीसदी से ज्यादा नमी वाली उड़द नामंजूर हो जाती है। स्थानीय व्यापारियों के अनुसार अच्छी क्वालिटी की नई उड़द 6000 रुपये से नीचे बिकने की संभावना नहीं है। उड़द की बुवाई पिछले साल से 20 फीसदी ज्यादा रही थी। पिछले साल फसल 40 फीसदी ही रही थी।
अलीराजपुर
बारिश और बादल के चलते अभी तक 2-5 फीसदी फसल को नुकसान हो चुका है। यलो मोजैक बीमारी से भी 5 फीसदी फसल खराब हो चुकी है। अगर बारिश अगले 8 दिनों तक होती रहती है तो क्वालिटी खराब होगी। उड़द की फसल के लिए अगला पखवाड़ा महत्वपूर्ण है। देरी के चलते बुवाई जुलाई अंत तक जारी रहने से अभी तक आवक शुरू नहीं हुई है। आवक दिसंबर में तेज होने की संभावना है। अगले महीने से कटाई शुरू होगी। बुवाई पिछले साल से 5-10 फीसदी कम रही थी।
विदिशा
पिछले दिनों बारिश के बाद मौसम खुल गया है। आवक करीब 100-150 बोरी की है जो नमी के अनुसार 5000-6000 रुपये के बीच बिक रही है। सिर्फ 25 बोरी अच्छी क्वालिटी की थी। अगैती फसल में बारिश से ज्यादा नुकसान है। अच्छी क्वालिटी की ही खरीद होने से सरकारी केंद्र पर बिकना मुश्किल है। एक क्विंटल उड़द में सिर्फ 10-15 फीसदी अच्छी क्वालिटी दाल निकल रही है। बुवाई पिछले साल से 50 फीसदी ज्यादा रही थी। अगर मौसम खुला रहा तो बाद में बोई गई फसल की क्वालिटी और आवक बेहतर होगी।
टीकमगढ़
पिछले कुछ दिनों से मौसम साफ है। अगर मौसम आगे भी साफ रहता है तो पहले दौर में बोई गई उड़द की आवक दो-तीन दिनों में शुरू हो सकती है। 25 फीसदी बुवाई अगैती होने का अनुमान है। हाल की बारिश से दूसरे दौर में बोई फसल को हाल की बारिश से नुकसान होने का अनुमान है। बुवाई करीब 20 दिन लेट हुई थी।
झांसी
करीब 20-25 फीसदी नमी वाली नई उड़द 5900-6000 रुपये के बीच बिक रही है। पिछले कुछ दिनों से मौसम साफ है। अगर आगे भी मौसम साफ रहा तो अक्टूबर के पहले हफ्ते में अच्छी क्वालिटी उड़द की आवक होने लगेगी। मार्केट पाइपलाइन खाली है। अच्छी क्वालिटी उड़द की सप्लाई शुरू होने का इंतजार है। मिलर्स जबलपुर से गर्मियों की उड़द को प्राथमिकता दे रहे हैं। वे मार्कफेड टेंडर के जरिये पन्ना से 2018 की उड़द 6000 रुपये के भाव पर खरीदना पसंद कर रहे हैं। हालांकि क्वालिटी सामान्य है। दिल्ली से आयातित उड़द मंगाने में पैरिटी नहीं है।
ललितपुर
करीब 18 फीसदी नमी की नई उड़द 6800 रुपये और दागी 4200-5000 रुपये प्रति क्विंटल बिक रही है। अगर मौसम 8-10 दिनों में खुल गया तो बुधनी, माडवाड़ा और महरौनी से नई उड़द की आवक अक्टूबर के पहले सप्ताह में शुरू हो जाएगी। समर क्रॉप की उड़द 6300-6400 रुपये पर बिक रही है जबकि एवरेज क्वालिटी 6000 रुपये बिक रही है। पिछला स्टॉक सिर्फ 10 फीसदी है। स्थानीय मंडी में भाव ज्यादा होने से मिलर्स सागर, अशोकनगर और दूसरे जिलों से खरीद रहे हैं। यहां अगैती बुवाई पिछले साल से 50 फीसदी बढ़ गई।
फील्ड सर्वेः राजस्थान
कोटा
अभी तक उड़द को कोई नुकसान नहीं है। हालांकि बारिश हुई है। 20 फीसदी नमी वाली उड़द 5500-6000 रुपये के बीच बिक रही है। मौसम खुलने पर आवक एक पखवाड़े में तेज होने की संभावना है। उड़द की खेती आसपास के झालावाड़, बारां, रावतभाटा, संगोड, छबरा आदि क्षेत्रों में होती है।
बूंदी
सिर्फ 10 फीसदी नई उड़द फसल की उम्मीद है। नई आवक 15-20 दिनों में शुरू होने की संभावना है। उड़द को बारिश से नुकसान होने की संभावना है। शुरू में मानसून की देरी के कारण उड़द की बुवाई लेट हुई थी। बुवाई 50 फीसदी कम रही थी। बारिश से धान को भी नुकसान है। रबी में किसान सरसों को प्राथमिकता दे सकते हैं।
टोंक
बारिश के कारण उड़द की फसल को भारी नुकसान होने का अंदेशा है। सिर्फ 15-20 फीसदी फसल ही बचने की संभावना है। नई उड़द 6700-6800 रुपये के बीच बिक रही है। हालांकि ज्यादा नमी यानी 16-17 फीसदी नमी वाली उड़द 6200-6300 रुपये प्रति क्विंटल पर बिक रही है। उड़द की बुवाई का रकबा पिछले साल से करीब 50 फीसदी कम रहा था। रबी में किसान अच्छे भाव के लिए सरसों की बुवाई कर सकते हैं।
फील्ड सर्वेः महाराष्ट्र
जलगांव
बारिश से फसल खराब होने के कारण नई फसल 25-30 फीसदी ही रहने की संभावना है। खांदेश्वर और विदर्भ क्षेत्र में फसल पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है। मराठवाड़ा क्षेत्र में सिर्फ 25 फीसदी फसल बचने की संभावना है। नई फसल की आवक मध्य अक्टूबर तक पूरी हो जाएगी। स्थानीय मंडियों में आ रही नई उड़द में नमी बहुत ज्यादा है और दागी भी है।
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