मुंबई (कमोडिटिजकण्ट्रोल) - तुअर का रिकॉर्ड उत्पादन, बेहद सुस्त मांग और भाव को नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा उठाये गए कदमो की वजह से देश तुअर के भाव लुढ़ककर 4 साल के अधिक के निचले स्तर पर पहुँच गए है। जहां कम भाव के कारण किसान परेशान है वहीं इस उद्योग से जुड़े लोग (स्टॉकिस्ट, व्यापारी और मिलर्स) भी पशोपेश में है। सरकार ने किसानों को राहत दिलाने के उद्देश्य से भारी पैमाने पर तुअर की खरीदी एमएसपी भाव पर की, परन्तु रिकॉर्ड उत्पादन के कारण भाव के दबाव से किसानो को बहुत अधिक राहत नहीं मिली है।
हालांकि सप्लाई-डिमांड पर नजर डाले तो तुअर की सप्लाई भरपूर है पर यदि इसमें से सरकार द्वारा खरीदी गई तुअर निकाल दे तो सप्लाई-डिमांड की स्थिति बिलकुल विपरीत नजर आ रही है।
तुअर के भाव में भारी गिरावट के बाद आगे बाजार का हाल कैसा रह सकता है जानने के लिए कमोडिटिजकण्ट्रोल ने सप्लाई-डिमांड स्थिति पर नजर डालते हुए एक ख़ास रिपोर्ट बनाई है।
तुअर को सहारा देने के लिए सरकार द्वारा उठाये गए कदम नाकाफी
देश में इस वर्ष तुअर की रिकॉर्ड उत्पादन के कारण सप्लाई मांग से अधिक हो गई और जिसके कारण इसके भाव इस सप्ताह चार वर्ष के निचले स्तर पर पहुँच गए। हालांकि सरकार ने भाव में सुधार के लिए कई कदम उठाये जैसेकि तुअर की खरीदी एमएसपी पर करना, विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा स्टॉक लिमिट सीमा में वृद्धि करने के साथ साथ केंद्र सरकार द्वारा तुअर आयात पर 10 प्रतिशत ड्यूटी लगाने की घोषणा भी की, पर सभी नाकाफी रहे।
तुअर की सप्लाई-डिमांड का विश्लेषण
देश में तुअर की भारी उत्पादन के कारण वर्तमान वर्ष 2017 (जनवरी-दिसंबर) में सप्लाई-मांग से अधिक है इसलिए भाव में लगातार गिरावट की स्थति बनी हुई है। हालांकि अब भाव में जल्द बॉटम बनने की संभावना प्रबल लग रही है। क्यों और कैसे? इसका विश्लेषण आइये जानते है।
देश में इस वर्ष तुअर की कुल अनुमानित सप्लाई 45.6 लाख टन रहने का अनुमान है। इसमें सरकार द्वारा दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार उत्पादन 42.1 लाख टन के साथ-साथ 0.50 लाख टन का ओपनिंग स्टॉक और संभावित आयात 3 लाख टन शामिल है। सरकार ने इस वर्ष अब तक कुल 11.66 लाख टन तुअर की खरीदी की है। अब यदि हम कुल सप्लाई में सरकार द्वारा खरीदी गई तुअर का हिस्सा निकाल देते हैं तो तुअर की उपलब्धता 33.94 लाख टन ही रह जाएगी। देश में इस वर्ष तुअर की अनुमानित खपत 32.4 लाख टन रहने की संभावना है और अब उपलब्धता में से घरेलु खपत को घटा दे तो मात्र 1.54 लाख टन तुअर एंडिंग स्टॉक बच रही है, यानी की यदि सरकारी स्टॉक को निकाल कर देखें तो सप्लाई-डिमांड की स्थिति बहुत अच्छी तो नहीं पर ठीकठाक कही जा सकती है। इस स्थिति में तुअर के भाव में जल्द बॉटम बनने की संभावना बढ़ जाती है और आने वाले समय में एक अस्थाई तेजी भी बन जाये तो अचरज वाली बात नहीं। पर काफी कुछ सरकार द्वारा ख़रीदे गए बफर स्टॉक की निकासी पर निर्भर होगा।
तुअर में कुछ और गिरावट संभव
चूँकि किसानों के पास अभी भी 12.94 लाख टन रहने का अनुमान है तो उनके द्वारा बिकवाली दबाव इस माह के अंत तक दिखने की संभावना और जिसके चलते तुअर के भाव में और गिरावट से इंकार नहीं किया जा सकता और वह भाव बॉटम भाव रहने की भी पूरी पूरी संभावना है क्यूंकि यदि सरकार द्वारा खरीदी गया 11.66 लाख टन निकाल दे सप्लाई-डिमांड की स्थिति टाइट हो जाएगी जिसके चलते तुअर में एक अस्थायी तेजी की तेजी बन सकती है।
तुअर में वर्तमान आवक और मांग की स्थिति
तुअर के कमजोर भाव के साथ साथ शादियों की सीजन होने की वजह से वर्तमान में तुअर की आवक देश के मुख्य उत्पादक मंडियों में बेहद कमजोर है, हालांकि किसानो के पास अभी भी 12.94 लाख टन तुअर होने का अनुमान है और इसका दबाव इस माह के अंत तक दिखने की संभावना है।
तुअर और तुअर दाल की मांग में वृद्धि की संभावना
आने वाले माह में त्योहारी सीजन के चलते तुअर में मांग बढ़ने की संभावना है। व्यापार सूत्रों की माने तो सब्जियों के महँगा होने और आम का मुख्य खपत सीजन जून में ख़त्म होने के कारण भी तुअर दाल की मांग में वृद्धि में सहायक होगी। फिलहाल सुस्त मांग के कारण मिलें तुअर दाल कम ही बना रही है और तुअर दाल का उत्पादन मॉनसून के समय नमी के कारण और घटने की संभावना है, जिसके कारण तुअर दाल की मांग और आपूर्ति में कुछ अंतर बन सकता है जिसके चलते तुअर दाल के भाव में सुधार हो सकता है। मीलों द्वारा तुअर की खरीदी धीमी है पर तुअर दाल की मांग बढ़ते है तुअर के लिए भी मांग निकलेगी और तुअर में भी कुछ रौनक लौटने की संभावना है। हालांकि काफी कुछ सरकार द्वारा बफर स्टॉक की निकासी की पॉलिसी पर निर्भर होगा।
सरकार द्वारा बफर स्टॉक की निकासी की पॉलिसी तय करेगी तुअर का भविष्य
जैसे की उपरोक्त सप्लाई-डिमांड का विश्लेषण में हमने पाया की सरकार के पास पड़ा बफर स्टॉक ही आगे तुअर की दशा और दिशा तय करेगी। सरकार के पास पड़े भारी भरकर बफर स्टॉक ने बाजार का माहौल बिगाड़ रखा है। व्यापारी, स्टॉकिस्ट और मिलर्स तुअर बड़ी मात्रा में खरीदने से हिचक रहे है क्यूंकि उन्हें लगता है की यदि सरकार ने बफर स्टॉक से तुअर की बिकवाली शुरू कर दी तो भाव में भारी गिरावट आ जाएगी और इसलिए कोई भी तुअर में हाथ डालने के पहले सौ बार विचार कर रहा है।
इसलिए सरकार को चाहिए की बफर स्टॉक निकासी के लिए एक विस्तृत पॉलिसी बनाये और उसे उद्योग के सामने पेश करें ताकि बाजार में चल रही असमंजता को ख़त्म किया जा सके। इसका यह लाभ होगा की यदि व्यापारियों को सरकार की निति सही तौर पर पता होगी तो वे खुलकर काम कर सकेंगे, जोकि एक खुले बाजार के लिए बहुत जरुरी भी है।
तुअर का रकबा घटने की संभावना
इस वर्ष किसानो को तुअर के लिए वाजिब दाम नहीं मिलने के कारण तुअर का रकबा घटने की संभावना बढ़ गई। महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में किसान शायद कॉटन की तरफ मुड़ सकते है क्यूंकि इसका भाव पुरे साल ऊपर ही रहा। यदि तुअर का रकबा घटता है तो उत्पादन भी कम होने की संभावना है जिसके चलते अगले वर्ष तुअर के भाव वृद्धि बन सकती और ऐसे में सरकार बफर स्टॉक से बिकवाली कर भाव को नियंत्रित कर सकती है। भाव बढ़ने से किसानो को उनके माल का वाजिब दाम तो मिलेगा ही साथ साथ सरकार द्वारा ऊँचे भाव एमएसपी दर पर खरीदी गई तुअर भी अच्छे भाव में निकाल पायेगी जो सभी के लिए हितकारक होगा।
निष्कर्ष
तुअर का भाव वर्तमान और भविष्य में सरकार के पास पड़े तुअर की निकासी पर ही निर्भर करेगा। सरकार को जल्द से जल्द तुअर के निकासी की पॉलिसी बनाकर उद्योग को अवगत कराये ताकि वे बिना किसी असमंजस के सुचारु रूप से काम करें। यदि सरकार ऐसा करती है तो आने वाले दिनों में तुअर के भाव में सुधार होगा जिसके कारण किसान और इससे जुड़े उद्योग राहत की सांस ले सकेंगे।