मुंबई (कमोडिटीज़ कंट्रोल) - चूंकि दालों की कीमतों में गिरावट कई लोगों के लिए चिंता का विषय बन गई है, शहर स्थित डीलरों ने नीति बनाने वालों को सुधार वाले कदम उठाने और किसानों और विक्रेताओं के हितों की रक्षा की मांग की, द बॉडी होल्सेल ग्रेन एंड सीड्स मर्चेंट असोसियेशन ने सरकार को चने के आयात पर प्रतिबंध लगाने के लिए कहा है क्योंकि चने की कीमतों मे हाल के दिनों में काफी गिरावट आई हैं। चने की कीमत 3,980 रुपये प्रति क्विंटल की कीमत पर कारोबार कर रही है जो कि पिछले 36 महीनों में सबसे निम्न स्तर है।
इसके अलावा किसानों को परेशान करने वाला तथ्य यह है कि चने को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के नीचे कीमत पर बेचा जा रहा है। इस वक़्त चने का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) (4,250+150 बोनस) 4,400 रुपये प्रति क्विंटल है।
चना के उत्पादन मे भारी वृद्धि की उम्मीद है क्योंकि बहोत से किसानों ने चने की बुवाई की है "मौजूदा सीजन में हमें चने मे 1.05 करोड़ टन उत्पादन होने की उम्मीद है, जबकि पिछले साल 90 लाख टन उत्पादन हुआ था। इससे चने की कीमतों पर असर प्रतिकूल पड़ेगा जिससे किसानो को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। सरकार को चने के आयात पर शुल्क लगा देना चाहिए या उस पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा देना चाहिए। "मौजूदा सीजन में भारत में चने का उत्पादन काफी हद तक घरेलू मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त है जिससे इसके आयात पर प्रतिबंध लगाने से हमे कोई नुकसान नहीं होगा।
इसके अलावा, सरकार को राष्ट्रीय कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) से चना के वायदे को हटाना चाहिए क्योंकि जहां चने की हेजिंग होती है जिससे कीमतों पर दबाव पड़ रहा है।
कुछ दिन पहले तक चने ने 6,000 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर को छुआ था लेकिन हेजिंग के कारण फिर से इसकी कीमतों में गिरावट शुरू हो गई जिसकी वजह से चने की कीमते 36 माह के निचले स्तर पर पहुँच चुकी है।
हाल ही में केंद्र सरकार ने भरपूर उत्पादन और गिरती कीमतों को ध्यान में रखते हुए सभी किस्मों के दालों के निर्यात को मंजूरी दे दी थी जिससे कि यह सुनिश्चित हो सके कि किसानों को उनके उपज के लिए उचित तथा लाभकारी मूल्य मिले।
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