मुंबई (कमोडिटीज़ कंट्रोल) - अप्रेल से अक्टूबर के दौरान चीन से कॉटन यार्न की कमजोर माँग की वजह से भारत का यार्न निर्यात पिछले वर्ष के मुक़ाबले 10.2 प्रतिशत गिरकर 464 मिलियन किलो रह गया, जबकि चीन को होने वाले शिपमेंट मे 31.9 प्रतिशत तक की कमी दर्ज की गई जिससे चीन को होने वाला शिपमेंट 105.9 मिलियन किलो रह गया।
संयोग से 2013-14 मे सूती धागे (यार्न) के निर्यात मे रेकॉर्ड तेज़ी देखी गयी थी इस दौरान कुल निर्यात 4.5 अरब डॉलर के रेकॉर्ड स्तर तक पहुँच गया था, क्योंकि स्पीनिंग मिलों को विभिन्न प्रोत्साहन (इनसेंटिव) का लाभ (जिसमे 2% निर्यात वृद्धि, 2% ब्याज अनुदान तथा 3% फोकस मार्केट प्रोत्साहन शामिल है ) मिला था जिससे उन्होने बेहतर प्रदर्शन किया था।
हालाँकि 2014 मे यार्न को प्रदान किए गये निर्यात प्रोत्साहन (इनसेंटिव) को वापस ले लिए गया जिससे यार्न निर्यात मे गिरावट आई और 2016-17 मे यार्न का निर्यात 26% घटकर 3.3 अरब डालर रह गया।
भारतीय वस्त्र उद्योग (सीआईटीआई) के अध्यक्ष, संजय कुमार जैन ने कहा, इस नीति/फैसले से चीन को होने वाले यार्न निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, जो भारत के यार्न का सबसे बड़ा आयातक है, साथ ही उन्होंने कहा की चीन अपने यार्न की माँग को वियतनाम तथा इंडोनेशिया मे स्थानांतरित कर चुका है क्योंकि वहाँ उन्हे आयात शुल्क चुकाना नही पड़ता है जबकि भारत से यार्न आयात मे उन्हे 3.5% आयात शुल्क लगता है।
(कमोडिटीज कंट्रोल ब्यूरो द्वारा; + 91-22- 40015533)
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