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चना पर 7% निर्यात सब्सिडी पर्याप्त नहीं है

23 Mar 2018 6:25 pm
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मुंबई (कमोडिटीज़कंट्रोल) - भारत सरकार ने बुधवार को चना निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए चने के निर्यात पर 7% की सब्सिडी देने की घोषणा की ताकि घरेलु बाजार में चना का भाव जोकि एम्सपी भाव से 18% से अधिक निचे है उसे कुछ सपोर्ट मिल सके।

मध्य प्रदेश के इंदौर मंडी में आज चना का भाव 3450 रुपये प्रति क्विंटल बोला गया।


गौरतलब है ऑस्ट्रेलिया विश्व का सबसे बड़ा चना निर्यातक देश है। ऑस्ट्रेलिया सबसे अधिक चना भारत, पाकिस्तान और संयुक्त अरब अमीरात को करता है है| फिलहाल भारत ने चना के आयात पर ६०% की निर्यात शुल्क लगा रखा है जिसके कारण ऑस्ट्रेलिया चना का भारत में पड़तल नहीं है, हालांकि अन्य देशो को वह चना बराबर कर रहा है।


7% की निर्यात सब्सिडी के बाद भारत से चना पाकिस्तान के लिए जाने की संभावना प्रबल हो सकती है क्यूंकि ऑस्ट्रेलिया का चना पाकिस्तान में फिलहाल 6800 रुपये प्रति क्विंटल पड़ रहा है| हालांकि पिछले वर्ष यह भाव 10,000 रुपये प्रति क्विंटल था


कराची स्थित एक आयातक से हमने भारत से चना आयात की संभावनाओं के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा की, "भारत में चने की कीमतें निचले स्तर पर है और 7% की सब्सिडी के भाव तो भाव अच्छे आकर्षक लग रहे है। हालांकि आयात की संभावना इस बात पर संभव हो पायेगी की पाकिस्तान सरकार चना के आयात के लिए इम्पोर्ट परमिट जारी करती है या नहीं, जो वर्तमान परिस्थितियों में मुश्किल लगता है।"

फिलहाल पाकिस्तान भारत से काबुली चना के अलावा अन्य कई कमोडिटीज का आयात कर रहा है

भारतीय चना एफओबी (न्हावा-शेवा पोर्ट) पर 568 डॉलर प्रति टन (7% प्रोत्साहन सहित) की लागत है, जबकि ऑस्ट्रेलिया का चना 550 डॉलर सीएनएफ (कराची) और भारत में 575 डॉलर की पेशकश की जा रही है।

मुंबई में स्थित एक दाल आयातक-निर्यातक ने सरकारी कदम का स्वागत किया है, लेकिन साथ ही कहा, "चना पर कम से कम 10-15% का सब्सिडी बेहतर होता और इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेहतर हमारे चने की स्थिति बेहतर हो सकती थी।"

यदि सरकार ने 10% की सब्सिडी दी होती तो यह एफओबी न्हावा-शेवा में लगभग 550 डॉलर प्रति टन पर और 15% की सब्सिडी पर यह लगभग 519 डॉलर प्रति टन उपलब्ध होता।


चना पर 7% प्रोत्साहन घरेलू कीमतों में कोई बड़ा अंतर नहीं होगा क्योंकि ऑस्ट्रेलिया मूल चना प्रतिस्पर्धी दरों पर उपलब्ध है, उन्होंने कहा।


हालांकि, किसी को भी यह नहीं भूलना चाहिए कि कई उत्पादक देशों ने पहले क्रश संयंत्र स्थापित किया है और अब वे सीधे उपभोक्ता को प्रतिस्पर्धी कीमतों पर चना दाल का निर्यातित कर रहे है, जो कि भारत का निर्यात संभावनाओं को भी चोट पहुंचा सकता है।


(कमोडिटीज कंट्रोल ब्यूरो द्वारा; + 91-22-40015533)

       
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